रेलवे ने असिस्टेंट लोको पायलट की भर्ती के लिए पदों की संख्या बढ़ाकर की 18,799: रिपोर्ट

असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) पदों की संख्या 5,696 से 18,799 कर दी गई है। विभिन्न रेलवे ज़ोन में अतिरिक्त एलपी की मांग के कारण पद बढ़ाए गए हैं। यह आदेश दार्जिलिंग रेल हादसे के बाद दिया गया है।

पश्चिम बंगाल रेलवे बोर्ड ने सोमवार को कंचनजंघा ट्रेन दुर्घटना के अगले दिन 18,799 ड्राइवरों को तत्काल प्रभाव से भर्ती करने का आदेश दिया है। रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे महाप्रबंधकों को एक हफ्ते में ड्राइवर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है। रेलवे के इस फैसले से ओवरलोड ड्राइवरों पर बोझ कम होगा और ड्राइवरों की मानवीय चूक से होने वाले हादसों में कमी आएगी।

उपरोक्त आदेश को मंगलवार देर शाम रेलवे बोर्ड के निदेशक-स्थापना विद्याधर शर्मा ने जारी किया है। भारत में इसकी प्रतिलिपि है। इस आदेश में बताया गया है कि 15 दिसंबर 2023 को 5696 सहायक लोको पॉयलेट (ALP) के पदों पर पहले से मंजूरी दी गई है। लेकिन 16 जोनल रेलवे से एलपी की अधिक भर्ती की मांग की गई थी। रेलवे बोर्ड ने इसकी समीक्षा के बाद 18,799 एलपी को रखने का निर्णय लिया है।

भारतीय रेलवे भर्ती प्रबंधन व्यवस्था (OIRMS) रेल भर्ती बोर्ड, बंगलुरू की मदद से एलपी भर्ती प्रक्रिया को एक सप्ताह में पूरा करेगा। रेलवे में लंबे समय से ड्राइवरों की आवश्यकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने ड्राइवरों को नौ घंटे की ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी है। लेकिन कमी के चलते ३१% से अधिक ड्राइवरों को १०-१२ घंटे तक ट्रेनें चलानी पड़ती हैं। 8% ड्राइवरों ने 12 से 16 घंटे अधिक समय तक ट्रेन चलाया है।

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तय घंटो से अधिक ड्यूटी करते हैं ड्राइवर

रेलवे बोर्ड के सेफ्टी इनर्फोमेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एसआईएमएस) के वित्तीय वर्ष 2021-22 के अनुसार 68.1% रेल ड्राइवरों ने नौ घंटे तक ट्रेनें चलाई हैं। जबकि 17.2% ड्राइवरों ने नौ से ग्यारह घंटे, 6.2 % ने ग्यारह से बारह घंटे और 8 % ने बारह घंटे से अधिक समय ट्रेनें चलाई हैं। नियमतः, ड्राइवर रेल का इंजन नहीं छोड़ सकता जब तक वह लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाता। ड्राइवर 16 से 18 घंटे या इससे अधिक समय तक काम कर सकते हैं।

थकान-अनिंद्रा के शिकार होते हैं ड्राइवर

ड्राइवरों को निर्धारित घंटे से अधिक काम और पर्याप्त छुट्टी नहीं मिलने से नींद नहीं आती। इससे थकान, निराशा और मानसिक तनाव बढ़ता है। जिससे ड्राइवर रेल पर ध्यान नहीं दे सकते। ड्राइवरों को खाना खाने, डिनर करने या टॉयलेट जाने की सुविधा नहीं है।


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Subhash is a well-known writer. He belongs to Jodhpur. His articles keep appearing in newspapers and magazines every day. Along with this, he also works with many news websites. He has always been the voice of farmers and the poor. His articles are always worth reading for the common people.

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