जिस लोको पायलट को कंचनजंघा रेल हादसे का दोषी बताया जा रहा है, वह 4 रात से सोया नहीं था: AILRSA
जिस लोको पायलट को कंचनजंघा एक्सप्रेस व मालगाड़ी हादसे का दोषी ठहराया जा रहा है, वह लगातार चार रातों से सोया नहीं था, ऑल इंडिया रनिंग लोको स्टाफ असोसिएशन (AILRSA) के उपाध्यक्ष एसएस ठाकुर ने बताया। उसने कहा, “लोको पायलट्स को… दोषी बताने की परंपरा पुरानी है।कंचनजंघा हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई है।
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कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बाद रेलवे हादसे की जांच में जुटा हुआ है। रेलवे ने भी प्रारंभिक जांच में लोको पायलट को दोषी ठहराया है। यही कारण है कि लोको एसोसिएशन ने रेलवे की इस धारणा पर प्रश्न उठाया है।
सोमवार सुबह 9 बजे बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई। वह पीछे से आ रही मालगाड़ी से टकरा गया। इस दुर्घटना में दस लोग मारे गए और 60 से अधिक यात्री घायल हो गए। हादसे में मालगाड़ी के लोको पायलट की मौत हो गई, जबकि सह-लोको पायलट अभी भी एक अस्पताल में भर्ती है। दुर्घटना के बाद से ही विभिन्न कारणों का पता लगाया जा रहा है। रेलवे अभी मामले की जांच कर रहा है। प्रारंभिक जांच में लोको पायलट को दुर्घटना का दोषी ठहराया जा रहा है।
रेलवे बोर्ड ने हादसे के बाद कहा कि लोको पायलट ने रंगापानी स्टेशन से टीए 912 अथारिटी पास लेने के बाद मालगाड़ी को सिग्नल खराब होने के बावजूद निर्धारित गति से ज्यादा चलाया। आल इंडिया लोको स्टाफ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एसएस ठाकुर ने एक इंटरव्यू में बताया कि सिग्नल फेल होने पर वैकल्पिक फार्म टीए 912 से ट्रेनें चलाई जाती हैं, जिसमें एक नियम है कि दूसरी ट्रेन स्टेशन से आगे नहीं बढ़ेगी जब तक आगे वाली ट्रेन अगला स्टेशन पार नहीं कर लेगी। रंगापानी स्टेशन पर भी ऐसा ही हुआ।
यहां के स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी को 15 मिनट बाद ही TA 912 पत्र दिया। जबकि कंचनजंगा ट्रैक से कुछ किमी. आगे खड़ी थी। उनका कहना था कि स्टेशन मास्टर भी इस गलती की जांच करनी चाहिए।
पायलटों को नहीं मिलती पूरी ट्रेनिंग
हादसे के बाद कई आश्चर्यजनक खुलासे हुए हैं। एसोसिएशन ने कहा कि जिस पायलट को दोषी ठहराया जा रहा है, वह लगातार चार रातों से सोया नहीं था। जबकि अधिकतम दो रात की ड्यूटी होनी चाहिए। नार्थ ईस्ट जोन के पायलट को अभी तक पूरी ट्रेनिंग नहीं दी गई है कि लोको पायलट को सिग्नल खराब होने पर गाड़ी कैसे चलानी चाहिए। पश्चिमोत्तर सीमांत रेलवे के सुरक्षा आयुक्त जनक कुमार ने बताया कि स्पीडोमीटर की प्रारंभिक जांच में मालगाड़ी की स्पीड 78 किमी/घंटा थी।
हादसे के बाद कांग्रेस के सवाल
हादसे के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाया कि बालासोर दुर्घटना के बाद एक किमी. रूट पर भी कवच सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं लगाई गई? रेलवे में १० वर्ष से ३ लाख पद खाली हैं। ये कब पूरा होगा? लोको पायलट की लगातार कई घंटे की नौकरी भी हादसों का एक बड़ा कारण है। राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष में ७५ प्रतिशत की कटौती का कारण क्या था?
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