
भारत बना रहा है अपना पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट इंजन
भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ा रहा है। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) 2026 तक देश का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट इंजन बनाने में सक्षम हो जाएगा।
मौजूदा स्थिति
- वर्तमान में भारत अपने फाइटर जेट्स के लिए विदेशी इंजन पर निर्भर है।
- तेजस Mk1A फाइटर जेट में अमेरिका का GE F404-GE-IN20 इंजन लगाया गया है।
- यह इंजन भरोसेमंद तो है, लेकिन भारत लंबे समय से अपने खुद के इंजन विकास की दिशा में प्रयासरत है।
भारत–फ्रांस रक्षा सहयोग
भारत और फ्रांस मिलकर अगली पीढ़ी का जेट इंजन विकसित करने के करीब हैं।
- रक्षा मंत्रालय ने ₹61,000 करोड़ की परियोजना पर सहमति जताई है।
- इसमें 120 किलो-न्यूटन (kN) थ्रस्ट वाला इंजन विकसित किया जाएगा।
- यह इंजन भारत के भविष्य के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) और अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स में इस्तेमाल होगा।
- खास बात यह है कि अमेरिका, ब्रिटेन और रूस जैसे देशों ने इंजन तकनीक साझा करने से इनकार कर दिया था, लेकिन फ्रांस भारत की मदद के लिए आगे आया है।
क्यों है यह बड़ा कदम?
फाइटर जेट इंजन बनाना दुनिया की सबसे कठिन तकनीकों में से एक है।
- वर्तमान में केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे कुछ ही देशों के पास यह क्षमता है।
- भारत अब इस सूची में शामिल होने की दिशा में बढ़ रहा है।
- इंजन टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर होने के बाद भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतें पूरी कर सकेगा, बल्कि भविष्य में अन्य देशों को भी इंजन निर्यात करने की क्षमता हासिल करेगा।
निष्कर्ष
2026 तक HAL का यह इंजन तैयार हो जाएगा तो यह भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। इससे भारत की आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) पहल को भी जबरदस्त बल मिलेगा।
वर्तमान में भारतीय सेना के पास भारत में बना तेजस फाइटर जेट है । जिसका इंजन अमेरिका से इंपोर्ट किया हुआ है तेजस Mk1A में अमेरिका का GE F404-GE-IN20 इंजन लगा है। यह इंजन साफ है, भरोसेमंद है और इसे भविष्य में और भी बेहतर बनाया जा सकता है। फाइटर जेट इंजन बनाने को लेकर भारत को हमेशा से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है । कोई भी देश अपने इंजन की टेक्नोलॉजी भारत को देने के लिए तैयार नहीं है । इसलिए भारत दूसरे देशों से फाइटर जेट इंजन बनाने के मामले में अभी तक पिछड़ा हुआ है।
फिलहाल विश्व के कुछ देशों के पास ही फाइटर जेट इंजन बनाने के तकनीक उपलब्ध हैं जैसा कि पहले बताया गया है, केवल अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे सीमित देशों के पास ही जेट इंजन डिजाइन करने और निर्माण करने की क्षमता है।
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